फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में पुलिस की मनमानी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए जिले की पुलिस अधीक्षक (SP) आईपीएस आरती सिंह को तत्काल हिरासत में लेने का आदेश दिया है। यह फैसला एक बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कॉर्पस) याचिका की सुनवाई के दौरान जस्टिस जेजे मुनीर की एकल पीठ ने सुनाया। याचिका में SP पर याचिकाकर्ता को धमकाने, अवैध हिरासत और जबरन बयान लिखवाने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। हालांकि, कोर्ट के आदेश के बावजूद पुलिस ने अभी तक SP को हिरासत में नहीं लिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है और मामले की अगली सुनवाई 15 अक्टूबर (बुधवार) को तय की है। अगर SP का स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं रहा, तो उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही या कड़ी कार्रवाई हो सकती है।

घटना का पूरा विवरण: अवैध हिरासत और पुलिस की गुंडागर्दी

मामला 8 सितंबर 2025 की रात का है, जब कायमगंज थाने की पुलिस टीम फर्रुखाबाद निवासी प्रीति यादव के घर पहुंची। टीम में थाना प्रभारी अनुराग मिश्रा, सीओ कायमगंज और अन्य पुलिसकर्मी शामिल थे। आरोप है कि पुलिस ने बिना किसी FIR के प्रीति के परिवार के दो सदस्यों को हिरासत में ले लिया और करीब एक सप्ताह तक थाने में बंद रखा। 14 सितंबर की रात 11 बजे उन्हें रिहा किया गया, लेकिन रिहाई से पहले दबाव डालकर एक लिखित बयान दिलवाया गया, जिसमें लिखवाया गया कि उन्हें किसी से कोई शिकायत नहीं है और वे कोई केस नहीं करेंगे।

याचिकाकर्ता की ओर से वकील संतोष पांडे और अवधेश मिश्रा ने कोर्ट में बताया कि पूरी कार्रवाई SP आरती सिंह के इशारे पर हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने SP, सीओ कायमगंज और SHO कायमगंज को 14 अक्टूबर दोपहर 2 बजे तक व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया था। SP ने कोर्ट में एफिडेविट दाखिल करने में चूक की, जिस पर जस्टिस मुनीर ने उन्हें प्रथम दृष्टया अवमानना का दोषी ठहराया। कोर्ट ने साफ कहा, “कोई भी पुलिसकर्मी याचिकाकर्ता से संपर्क नहीं करेगा, न ही धमकी या उत्पीड़न करेगा।”

वकील पर हमला: पुलिस की बर्बरता की हद

मामले ने तब तूल पकड़ा जब 11 अक्टूबर को करीब 100 पुलिसकर्मी वकील अवधेश मिश्रा के घर पहुंचे। पुलिस ने वहां तोड़फोड़ की, सामान फेंका, सीसीटीवी कैमरे तोड़े और DVR जब्त कर लिया। शक था कि मिश्रा ने ही प्रीति को याचिका दाखिल करने में मदद की। इसके बाद मिश्रा ने भी कोर्ट में एफिडेविट दाखिल किया। मंगलवार शाम 4 बजे हाईकोर्ट परिसर के बाहर पुलिस ने मिश्रा और उनके बेटे को जबरन गिरफ्तार कर लिया। कोर्ट के हस्तक्षेप से दोनों को तुरंत रिहा किया गया। वरिष्ठ वकील अमरेंद्र नाथ सिंह ने बताया कि कोर्ट ने प्रीति का बयान दर्ज कर पाया कि पुलिस ने न केवल धमकी दी, बल्कि जबरन कागज पर साइन करवाया।

हाईकोर्ट ने SP आरती सिंह को प्रयागराज में रुकने का आदेश दिया है, जबकि अपर महाधिवक्ता ने जवाब दाखिल करने के लिए मोहलत मांगी। कल दोपहर 12 बजे अगली सुनवाई होगी। X (पूर्व ट्विटर) पर पत्रकार दिनेश शुक्ला ने लाइव अपडेट शेयर किया, जिसमें कोर्ट की नाराजगी और SP के असंतोषजनक जवाब का जिक्र है।

कौन हैं आईपीएस आरती सिंह? सफलता की कहानी लेकिन विवादों से घिरी

आईपीएस आरती सिंह मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले की रहने वाली हैं। उनके पति अनिरुद्ध सिंह भी आईपीएस अधिकारी हैं। दोनों ने एक साथ UPSC की तैयारी की और 2009 में एक ही परीक्षा पास की। आरती को 118वीं रैंक मिली, जबकि अनिरुद्ध को 146वीं। वे हिंदी माध्यम से टॉपर रहीं। ट्रेनिंग के दौरान उनकी पहली पोस्टिंग मथुरा और वाराणसी में CO के रूप में हुई।

शिक्षा: प्रारंभिक पढ़ाई NTPC शक्तिनगर के विवेकानंद स्कूल से, इंटर DAV स्कूल दुद्धीचुआ से, BBA जबलपुर से और MBA इंदौर से। डॉक्टर बनने की बजाय उन्होंने UPSC चुना। पहले वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट में तैनाती के दौरान मकान मालिक को किराया न देने का आरोप लगा, जिसकी शिकायत DGP से की गई। हाल ही में महाराष्ट्र के बदलापुर स्कूल यौन शोषण मामले की SIT जांच में भी उनकी भूमिका रही।

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