आगरा। लोकतंत्र की धड़कन कहे जाने वाले ग्रामीण पत्रकार अब अपनी हक़ की लड़ाई के लिए सड़कों पर उतरने को तैयार हैं। ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन, उत्तर प्रदेश की प्रांतीय कार्यकारिणी के आह्वान पर आगरा जिला इकाई 16 सितंबर को सुबह 11 बजे जिला मुख्यालय पर एकजुट होगी और मुख्यमंत्री को संबोधित सात सूत्रीय मांगों का धारदार ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से सौंपेगी।

जिला अध्यक्ष विष्णु सिकरवार ने साफ कहा –

📍 “यह लड़ाई केवल पत्रकारों की नहीं, बल्कि ग्रामीण पत्रकारिता की अस्मिता और सम्मान की है।”

उन्होंने बताया कि इस दिन जिला कार्यकारिणी से लेकर तहसील स्तर तक के सभी पदाधिकारी मजबूती से मौजूद रहेंगे और साथ ही आगरा जिले की स्थानीय समस्याओं का अलग ज्ञापन भी सौंपा जाएगा।

ग्रामीण पत्रकारों की भूमिका

गांव-गांव की आवाज़ उठाने वाले पत्रकार ही लोकतंत्र की रीढ़ हैं। ये वही लोग हैं जो कठिन हालात में भी जनमानस की पीड़ा को शासन-प्रशासन तक पहुँचाने और योजनाओं को जनता तक पहुँचाने का सेतु बने रहते हैं। अब जब यही पत्रकार अपने अधिकार और सुरक्षा की मांग कर रहे हैं, तो सवाल सरकार से है – क्या उनकी आवाज़ सुनी जाएगी?

सात सूत्रीय मांगें जो बदल सकती हैं तस्वीर

🔥 1. प्रदेश कार्यालय का भवन – लखनऊ में स्थायी भवन मिले, ताकि प्रदेशभर से आए पत्रकारों को सहूलियत मिल सके।
🔥 2. आयुष्मान भारत योजना – ग्रामीण पत्रकार और उनके परिवार भी मुफ्त कैशलेस इलाज का लाभ लें।
🔥 3. बीमा और पेंशन योजना – सक्रिय पत्रकारों को बीमा, जबकि 60 वर्ष से ऊपर के वरिष्ठ पत्रकारों को पेंशन।
🔥 4. एफआईआर से पहले जांच – पत्रकारों पर सीधे केस न हो, पहले राजपत्रित अधिकारी जांच करें।
🔥 5. तहसील स्तर पर बैठकें – जिला और राज्य की तरह तहसील स्तर पर भी पत्रकार-प्रशासन की बैठकें हों।
🔥 6. आपदा में मदद – किसी हादसे में मृत पत्रकार के परिवार को तुरंत 5 लाख और राहत कोष से 20 लाख की सहायता।
🔥 7. फर्जी पत्रकारों पर नकेल – अवैध वसूली करने वाले फर्जी पत्रकारों की पहचान कर कड़ी कार्रवाई।

📍ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन ने शासन से इन मांगों पर गंभीरता से विचार करने और त्वरित निर्णय लेने की अपील की है। संगठन का कहना है कि इन कदमों से न केवल पत्रकारों का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि ग्रामीण पत्रकारिता को और अधिक सशक्तता भी मिलेगी।📍

16 सितंबर को आगरा का जिला मुख्यालय इस बात का गवाह बनेगा कि जब पत्रकार खुद अपनी लड़ाई लड़ते हैं तो लोकतंत्र की सच्ची ताकत कैसी गूंजती है।
यह सिर्फ़ ज्ञापन नहीं, ग्रामीण पत्रकारिता के सम्मान का बिगुल है।


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