अधिवक्ता डॉ. अरुण कुमार दीक्षित ने की थी शिकायत, विपक्षियों से 30 जुलाई तक मांगा जवाब

आगरा। अधिवक्ता डॉ. अरुण कुमार दीक्षित के द्वारा कुलपति सहित कई अधिकारियों और प्रोफेसरों की भ्रष्टाचार की लोकायुक्त में शिकायत की गई थी। शिकायत को लोकायुक्त ने परिवाद के रूप में दर्ज करते हुए कुलपति, कुलसचिव सहित सभी विपक्षियों से 30 जुलाई तक मय साक्ष्यों के शपथ पत्र पर जवाब मांगा है।


डॉ. अरुण कुमार दीक्षित ने लोकायुक्त में शिकायत की थी कि उनके बिलों के लिए उनसे 30% कमीशन मांगा जा रहा है। कमीशन नहीं देने के चलते वर्ष 2022 से लगभग साढ़े दस लाख रुपए के कुलपति द्वारा उनके भुगतान रोक दिए गए हैं।

पूर्व में भी तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल के कार्यकाल में उनके भुगतान रोके गए थे। राजभवन में शिकायत के बाद सेवानिवृत न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर जांच कराई गई। जांच में आरोपों को सही पाया गया, जिसके बाद कुलपति को हटना पड़ा था।

डॉ. दीक्षित ने शिकायत में कहा है कि वर्तमान कुलपति प्रोफेसर आशु रानी के कार्यकाल में भी उनसे कमीशन की डिमांड जारी है। भुगतान के लिए उन्होंने उन्हें कई पत्र लिखे। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह पत्र उन्होंने अपनी शिकायत के साथ भी लगाए हैं।

उन्होंने शिकायत में कहा है कि उनसे यह भी कहा गया था कि अगर 30% कमीशन नहीं दिया तो बिलों में इतनी कमियां निकलवा दी जाएगी कि सब बिल गुड़ गोबर हो जाएंगे। प्रोफेसर राजीव वर्मा ने भी कहा था कि राजभवन से आए पत्र का कूटरचित दस्तावेज बनाकर जवाब दिया जा रहा है। जैसे ही हमारी रिपोर्ट राज भवन में जाएगी। वहां स्वीकार कर ली जाएगी और शिकायत यहीं पर समाप्त हो जाएगी। उल्टा आपके खिलाफ कार्रवाई हो जाएगी।

शिकायत में डॉक्टर दीक्षित ने कहा कि और हुआ भी यही। शिकायत के बाद उल्टा उनके खिलाफ ही कार्रवाई हो गई। उन्होंने शिकायत में यह भी कहा है कि विश्वविद्यालय में रूसा के तहत आए करोड़ों रुपए का बंदर वांट कर लिया गया है। कई इमारतें पैसा खाने के लिए फाइलों में ही बना दी गई हैं जो धरातल पर भी मौजूद नहीं है। इन सभी के भुगतान भी हो गए हैं।

कुलपति प्रोफेसर आशुरानी, रूसा प्रभारी प्रो. संजय चौधरी के द्वारा सरकार को करोड़ों रुपए की वित्तीय हानि कराई गई है। इसकी जांच किया जाना अति आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा है की प्रयोगशालाओं के लिए घटिया उपकरण भी खरीदे गए हैं जिनकी क्वालिटी बेहद खराब है यह सभी रूसा प्रभारी प्रोफेसर संजय चौधरी ने बिना टेंडर के खरीद लिए हैं। यह भी बड़े स्तर पर घोटाला हुआ है, जिससे विश्वविद्यालय को करोड़ों रुपए की वित्तीय हानि हुई है। उन्होंने अपनी शिकायत में यह भी लिखा है कि  छात्राओं का यौन उत्पीड़न किया जाता है। जिस संबंध में शिकायत भी हुई हैं।


डॉ. दीक्षित के द्वारा शिकायत में कुलपति प्रोफेसर आशु रानी, तत्कालीन कुल सचिव राजेश कुमार, प्रोफेसर संजय चौधरी, प्रोफेसर मनु प्रताप सिंह, प्रोफेसर राजीव वर्मा, उप कुलसचिव पवन कुमार, उप कुल सचिव अनूप केशरवानी, परीक्षा नियंत्रक ओमप्रकाश, पीआरओ पूजा सक्सेना, वरिष्ठ सहायक राधिका प्रसाद को आरोपी बनाया है। लोकायुक्त ने शिकायत को परिवाद के रूप में दर्ज करते उप लोकायुक्त को जांच सौंपी है। उन्होंने इन सभी आरोपियों से 30 जुलाई 2025 तक साक्ष्यों सहित आख्या शपथ पत्र के साथ उपलब्ध कराने के लिए आदेशि

____________

Exit mobile version