बाह के स्टेडियम निर्माण में रोडा बनी जन प्रतिनिधियों की आपसी रार

🔹शंकर देव तिवारी….. ✍️
बाह (आगरा) । बीहड़ ऊपर से पीने का पानी दो सौ हाथ गहरे से रस्सी से खींचकर लेने वाले भदावरी जवान दौड कर एशिया में स्वर्ण पदक जीत, डिस्कस थ्रो में अच्छा प्रदर्शन कर मेडल पर मेडल जीत अर्जुन अवार्ड तक ले बाह का नाम रोशन करते आ रहे हैं। एक समय तो यहाँ के पानी की जांच भी करनी पड़ी। जिसमें कहा गया कि बाह के पानी में ही प्रतिभा निखारने की क्षमता है।
सैकडों नहीं हजारों खिलाडी राष्ट्रीय और सैकड़ों विदेशो में जाकर भारत के लिए खेलकर बाह का नाम रोशन करते आ रहे हैं। मगर पिछले पचास सालों से तो हम ही देख रहे हैं कि स्टेडियम की मांग पर कोई भी सरकार गम्भीर नहीं हुई।
बाह से प्रदेश और केंद्र सरकार में पहुंचे मंत्री तक रह लिए मगर किसी का भी प्रयास स्टेडियम के लिए सफल साबित नहीं माना गया।
बाह के युवाओं ने तत्कालीन सांसद गंगा राम का घेराव किया। सांसद बने मंत्री रामजी लाल सुमन की सभा में वेनर दिखाए तो स्थानीय भामाशा देवता ने अपने पिता के नाम की शर्त पर जमीन देने की घोषणा की मगर जब कुछ नहीं हुआ तो बाह के युवाओं ने धरना दिया जिसे सांसद प्रभुदयाल कठेरिया ने दान में मिली जमीन के समतली करण के लिए अपनी निधि से दस लाख रुपये दिये। मगर यह जमीन एक जनप्रतिनिधि के द्वारा विरासती बता विवादित बना स्टेडियम के निर्माण में रोड़ा अटका दिया।
इसके बाद से स्टेडियम बीरबल की खिचड़ी साबित हो रहा है। और अब तो स्थित यहां तक बन चुकी है कि जनप्रतिनिधि ही अपनी ना नुकूर में स्टेडियम को खटाई में डाल क्षेत्र की प्रतिभाओं को पलायन को मजबूर कर रहे हैं।
अभी कुछ दिनों पहले एक प्रकाशित रिपोर्ट पर आई जनप्रतिनिधियों की प्रतिक्रियाओं से साफ हो गया कि स्टेडियम न आने के पीछे ये ही लोग हैं कोई और नहीं।
एक अखबार ने सही बात कही जिसका प्रमाण जनप्रतिनिधियों ने स्वयं दे दिया। सांसद के द्वारा भेजे प्रस्ताव में कोई क्वेरी लगी है उन्होंने खुद बताया मगर वह पत्र अभी तक एस डी एम के पास नहीं आया है।
विधायक का कहना है खेलो इंडिया के तहत मिलने वाली धनराशि सात करोड़ का हवाला देकर साफ कर दिया वे स्टेट प्लान से अनविज्ञ हैं। जबकि खेल निदेशक उत्तर प्रदेश आर पी सिंह ने साफ कहा है कि राज्य सरकार को प्रतिभा निखार अभियान के तहत जमीन दे दी जाए तो खेल विभाग उत्तर प्रदेश ही स्टेडियम बना के दे दे।
मगर अफसोस हिंदुस्तांन के प्रयास को को भी जन प्रतिनिधि धता दे अपनी बात कह अपने आपकी गलती स्वीकार के भी नहीं माने। मगर खेल निदेशक ने साफ कर दिया जमीन है तो उन्हे दो और स्टेडियम बना हुआ ले लो।
अब समस्या ये है कि उत्तर प्रदेश के काम और योजना से विधायक क्यों नहीं करवानी चाहती। वे खेलो इंडिया के तहत दिल्ली क्यों भाग रही हैं। जबकि सांसद मामले को तहसील में ही पेंडिंग बता एस डी एम से ही सिफ़ारिस करते फिर रहे हैं। और परगना धिकारी का कहना है उनके पास ऐसी कोई चिट्ठी नहीं आई है ।
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