अलीगढ़: आगरा-बुलंदशहर हाईवे पर रविवार दोपहर जो कुछ हुआ, वह एक सामान्य विरोध नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश का संकेत था — जिसका निशाना थे सपा सांसद रामजीलाल सुमन।
करीब 19 टायर हवा में उछाले गए। कुछ उनकी गाड़ियों से टकराए, कुछ दूसरी साइड की लेन में जाकर गिर गए। कई वाहन फिसले, एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया।

लेकिन असली सवाल यह नहीं कि टायर क्यों फेंके गए… असली सवाल है: “कौन जानता था सांसद का रूट? विरोध इतना ‘तैयार’ कैसे था? और पुलिस को इसकी भनक क्यों नहीं थी?”

घटनाक्रम: काले झंडे की जगह टायरों की बौछार

रामजीलाल सुमन, हाथरस से लौटते वक्त बुलंदशहर के गांव सुनहेरा जा रहे थे। उसी दौरान करणी सेना और क्षत्रिय महासभा के कार्यकर्ताओं ने सोमना मोड़ पर घेराव किया।
सूत्रों के अनुसार, विरोध काले झंडों तक सीमित रखना था — लेकिन जैसे ही झंडे उपलब्ध नहीं हो सके, वहीं पास पड़ी दुकान के बाहर के टायरों का सहारा लिया गया। टायर हवा में उछले, गाड़ियां थमीं, अफरातफरी मच गई।

19 टायर, क्षतिग्रस्त वाहन और बाल-बाल बचे मुसाफिर

  • सांसद की गाड़ी सहित कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त हुईं

  • तीन टायर दूसरी दिशा में जा गिरे — 3 कारें अचानक ब्रेक मारते हुए रुक गईं

  • चालक बोले — “गाड़ी 60 की स्पीड पर थी, वरना सब खत्म हो जाता।”

पुलिस की नाकामी: चौकी से चंद कदम की दूरी, फिर भी ‘जीरो इंटेलिजेंस’

  • घटना स्थल पर तैनात पुलिस नदारद

  • बीट सिपाही और हलका दरोगा को निलंबित

  • गभाना थाना प्रभारी पर विभागीय जांच शुरू

  • SP सिटी खुद जांच में जुटे — सवाल वही: “सूचना क्यों नहीं थी?”

SP सिटी मृगांक शेखर पाठक:
“पहले से तय रूट था, लेकिन चौकी स्तर पर इनपुट नहीं था। लापरवाही गंभीर है। जांच जारी है।”

प्लान A फेल, प्लान B ऑन द स्पॉट एक्टिवेट!

  • सपा सांसद के निकलते ही करणी सेना को रूट की लाइव अपडेट

  • दो जगह टीम तैनात: खेरेश्वर और सोमना मोड़

  • झंडे नहीं मिले, तो मौके पर पड़े टायरों से विरोध

  • घटना से पहले 10–15 लोग दुकान के पास मंडराते देखे गए — लेकिन स्थानीय ढाबा कर्मचारी को भी शक नहीं हुआ

सीसीटीवी देख रही पुलिस, आरोपियों की तलाश जारी

  • 5 आरोपी गिरफ्तार, शांति भंग की धाराओं में कार्रवाई
  • सोमना से गभाना तक के कैमरे खंगाले जा रहे

  • स्थानीयों से पहचान कराई जा रही

  • शेष दोषियों की तलाश जारी

पुलिस की रणनीति: कार्रवाई और कूटनीति दोनों

  • करणी सेना नेताओं को SSP के घर बुलाया गया

  • संवाद में गर्मी नहीं, लेकिन संकेत साफ: “अब और बर्दाश्त नहीं होगा…”

  • करणी सेना नेता ज्ञानेंद्र सिंह चौहान ने संवाद को ‘शिष्टाचार’ बताया, पर हमले पर चुप्पी साधी

न्याय की राह: साजिश थी या स्वाभाविक प्रतिक्रिया?

यह घटना एक साधारण विरोध या भीड़ की उग्रता नहीं, बल्कि एक प्री-प्लान्ड राजनीतिक विद्रोह के रूप में देखी जा रही है।

एसएसपी संजीव सुमन:
हर एंगल से जांच चल रही है। कोई भी बख्शा नहीं जाएगा।

निष्कर्ष:

एक सांसद पर हमला न सिर्फ जनप्रतिनिधि की सुरक्षा पर सवाल है, बल्कि यह घटना राजनीतिक असहमति के नाम पर हिंसा की बढ़ती प्रवृत्ति को भी उजागर करती है।
अगर अब भी सिर्फ बीट सिपाही पर कार्रवाई कर मामला शांत कर दिया गया, तो अगली बार सिर्फ टायर नहीं उछलेंगे… लोकतंत्र के मूल्य गिरेंगे।

 

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