आगरा। 34 साल पहले हुए चर्चित पनवारी कांड में एससी-एसटी कोर्ट ने 36 आरोपियों को दोषी माना है। 15 को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया गया है। 30 मई को दंड मात्रा की सुनवाई होगी।

वर्ष 1990 में सिकंदरा थाना क्षेत्र के पनवारी गांव में अनुसूचित जाति के परिवार की बेटी की बरात चढ़ाने को लेकर बवाल हुआ था। विवाद उस समय शुरू हुआ जब बरात के रास्ते को लेकर जातीय तनाव बढ़ गया। तनाव को देखते हुए बरात गांव के बाहरी रास्ते से निकाली गई। लेकिन जब लड़की के घर के पास पहुंची तो तीन ओर से घेरा डाली भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया था। जवाब में पुलिस ने फायरिंग की, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई।

इस दिन घटनास्थल पर तत्कालीन एसएसपी कर्मवीर सिंह ने खुद राइफल हाथ में लेकर मोर्चा संभाला था। घटना की प्रतिक्रिया में कागारौल थाना क्षेत्र के रामनगर (अकोला) गांव में दलित बस्ती पर हमला हुआ। लोगों ने कथित तौर पर बड़े पैमाने पर आगजनी और हिंसा को अंजाम दिया। पीड़ितों की शिकायत पर कागारौल थाने में मामला दर्ज हुआ और जांच के बाद 74 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। इस मामले में एससी एसटी पुष्कर उपाध्याय की कोर्ट में सुनवाई हुई।

अदालत ने 36 आरोपियों को दोषी माना है। 15 को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। 30 मई को दंड मात्र की सुनवाई होगी। मुकदमे की सुनवाई के दौरान 22 लोगों की मौत हो चुकी थी। दो अभियुक्त नाबालिग थे जबकि शेष बचे 50 अभियुक्तों पर सुनवाई हुई।

"गांव से शहर तक, गलियों से सड़क तक- आपके इलाके की हर धड़कन को सुनता है "जिला नजर" न्यूज़ नेटवर्क: नजरिया सच का

error: Content is protected !!
Exit mobile version